तुम एक ख्वाब ही तो हो..
तुम एक ख्वाब ही तो हो, जिसे देखता रोज़ हू पर पा नहीं सकता,
तुम एक एहसास ही तो हो, जिसे मेहसूस तो करता हू पर बाट नहीं सकता,
तुम आवाज़ ही तो हो, जिसे सुनता हू पर केह नहीं सकता,
तुम राज़ ही तो हो, जिसे खुद से छुपाता हू पर ज़ाहिर नहीं कर सकता,
तुम साँस ही तो हो, जिसे मैं ठुकरा नहीं सकता,
तुम याद ही तो हो, जिसे भुला नहीं सकता,
तुम रात ही तो हो, जिसे मैं सो नहीं सकता,
तुम राहत ही तो हो, जिसे मैं खो नहीं सकता
तुम वो तिशनगी हो, जिसे बुझा नहीं सकता,
तुम वो आवारगी हो, जिसे झुठला नहीं सकता,
तुम वो दिल्लगी हो, जिसे जुदा नहीं सकता,
तुम वो सादगी हो, जिसे अपना नहीं सकता,
कोई तो पूछे तुम क्या हो, तो केह दु सिर्फ इतना,
तुम वो जिंदगी हो, जिसेे जिया नहीं सकता…
अकबर धमानी
Bahot mast bhaiya
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