ज़िन्दगी लौट जा तू फिर किसी एक दिन..
ज़िन्दगी लौट जा तू फिर किसी एक दिन,
मौत से भी मिला तू फिर किसी एक दिन…
ना जाने कब से कैद है दुनिया के इस पिंजरे मे,
ना जाने कब से कैद है दुनिया के इस पिंजरे मे,
पंछी बन के उड़ जा तू फिर किसी एक दिन…
जिंदगी लौट जा तू फिर किसी एक दिन…
हर नज़र देख नहीं सकती वो कशिश उन आँखों मे,
हर नज़र देख नहीं सकती वो कशिश उन आँखों मे,
डर है मुझी से नज़र ना फेर जा तू फिर किसी एक दिन..
ज़िन्दगी लौट जा तू फिर किसी एक दिन…
बडी मुद्दतों से हुई है तेरी नवाज़िश ए खुदा,
बड़ी मुद्दतों से हुई है तेरी नवाज़िश ए खुदा,
कोई तो करिश्मा दिखा जा तू फिर किसी एक दिन..
ज़िन्दगी लौट जा तू फिर किसी एक दिन…
चलता रहा तन्हा राहों में करने उसे हासिल,
चलता रहा तन्हा राहों में करने उसे हासिल,
मंज़िल की तरह चूमकर ले आ तू फिर किसी एक दिन..
ज़िन्दगी लौट जा तू फिर किसी एक दिन…
मौत से भी मिला तू फिर किसी एक दिन…
अकबर धमानी
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